सोच का फर्क है
एक छोटे से पहाड़ी गाँव में दो भाई रहते थे—विक्रम और नील। दोनों एक जैसे दिखते थे, एक ही काम करते थे, लेकिन उनकी सोच में जमीन-आसमान का फर्क था। गाँव का मुख्य व्यवसाय था बुनाई—लोग ऊन से खूबसूरत शॉल और कालीन बनाते। विक्रम और नील भी यही करते, पर उनकी जिंदगी की राहें अलग थीं।
एक साल, गाँव में भयंकर सूखा पड़ा। नदियाँ सूख गईं, भेड़ों को चारा नहीं मिला, ऊन की कमी हो गई। बुनाई का काम ठप हो गया। गाँव वाले परेशान थे। लोग कहने लगे, "अब क्या होगा? हमारा धंधा चौपट हो गया।"विक्रम भी इसी भीड़ का हिस्सा था। उसने सोचा, "ये सूखा मेरी जिंदगी का अंत है। बिना ऊन के शॉल कैसे बनाऊँ? अब भुखमरी ही बाकी है।" वो दिन-रात शिकायत करता, अपनी किस्मत को कोसता।
उसने काम छोड़ दिया और उदास होकर घर में बैठ गया। उसकी पत्नी और बच्चे भी उसकी निराशा से दुखी रहने लगे।लेकिन नील ने दूसरा रास्ता चुना। उसने सोचा, "सूखा मुसीबत है, पर हर मुसीबत कुछ सिखाती है। अगर ऊन नहीं है, तो क्या? कुछ और करना होगा।" उसने गाँव के बाहर की यात्रा की। उसने देखा कि शहरों में लोग रंग-बिरंगे कपड़ों और कागज से बनी सजावटी चीजों की माँग बढ़ रही थी।
नील ने गाँव लौटकर कुछ नया सोचा।उसने गाँव की औरतों और बच्चों को इकट्ठा किया। बोला, "हम ऊन का इंतजार क्यों करें? हमारे पास हुनर है। चलो, पुराने कपड़ों, रस्सियों और जंगल की सूखी टहनियों से कुछ बनाते हैं।" उसने सबको सिखाया कि कैसे पुराने कपड़ों को काटकर, रंगकर और बुनकर दीवार पर टांगने वाली सजावट बनाई जाए। बच्चों ने टहनियों से छोटी-छोटी टोकरियाँ बनानी शुरू कीं।नील ने इन चीजों को शहर के बाजार में बेचा। लोग उसकी अनोखी कारीगरी देखकर हैरान थे। धीरे-धीरे, नील का नया धंधा चल पड़ा। उसने गाँव के कई लोगों को रोजगार दिया।
सूखा खत्म होने पर भी गाँव वालों ने नील का नया काम नहीं छोड़ा, क्योंकि ये ज्यादा मुनाफा दे रहा था।उधर, विक्रम अब भी अपनी पुरानी जिंदगी के लौटने का इंतजार कर रहा था। एक दिन, उसने नील के घर जाकर उसका बदला हुआ जीवन देखा। नील का घर अब पहले से बड़ा था, बच्चे स्कूल जा रहे थे, और गाँव में उसकी इज्जत थी।
विक्रम ने पूछा, "भाई, तूने ये सब कैसे किया? हम दोनों की तो एक जैसी मुसीबत थी।"नील मुस्कुराया और बोला, "विक्रम, मुसीबत तो एक थी, पर सोच का फर्क था। तूने सूखे को अपनी हार माना, मैंने उसे नया रास्ता ढूँढने का मौका। समस्या हमें तोड़ने नहीं, बनाने आती है बस उसे सही नजर से देखना होता है।"विक्रम को बात समझ आई। उसने नील के साथ काम शुरू किया और धीरे-धीरे अपनी जिंदगी भी संवार ली।
सीख :- जिंदगी की हर समस्या एक इम्तिहान है। नकारात्मक सोच आपको कमजोर करती है, सकारात्मक सोच नई राह दिखाती है। मुसीबत का आना तय है, पर उसका असर आपकी सोच पर निर्भर करता है।