अनुशासन ही सफलता की गारंटी है

 एक छोटे से गांव में रमेश नाम का लड़का रहता था। वह पढ़ाई में होशियार था, लेकिन उसका मन हमेशा खेलने-कूदने में रहता। सुबह स्कूल जाने से पहले वह घंटों क्रिकेट खेलता, और रात को देर तक टीवी देखता। नतीजा? उसकी पढ़ाई अधूरी रहती, और परीक्षा में नंबर कम आते।

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एक दिन, उसके दादाजी ने उसे बुलाया और कहा, "रमेश, अनुशासन कठिन लगता है, लेकिन यह सफलता की सीढ़ी है।" उन्होंने एक कहानी सुनाई: एक चींटी रोज़ थोड़ा-थोड़ा अनाज इकट्ठा करती थी, जबकि टिड्डा दिनभर गाता रहता। सर्दी आई, तो चींटी के पास खाना था, लेकिन टिड्डा भूखा मर गया।

रमेश को बात समझ आई। उसने अगले दिन से अनुशासन अपनाया। सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई, फिर स्कूल, और शाम को एक घंटा खेल। रात को समय पर सोना। पहले हफ्ते यह मुश्किल लगा, लेकिन धीरे-धीरे आदत बन गई।छह महीने बाद, रमेश की मेहनत रंग लाई। स्कूल की परीक्षा में वह प्रथम आया। दादाजी ने मुस्कुराते हुए कहा, 

"देखा, अनुशासन आदत बन जाए, तो सफलता की गारंटी है।

सीख: अनुशासन शुरू में कठिन लगता है, लेकिन नियमित अभ्यास से यह आदत बन जाता है और जीवन में सफलता लाता है।

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