"जिद्द होनी चाहिए हासिल करने की, वरना उम्मीद तो हर कोई लगाकर बैठा है।"
ये पंक्ति ज़िंदगी की सच्चाई बयान करती है। सफलता के पीछे सिर्फ़ सपने देखना काफ़ी नहीं, बल्कि उसे पाने की ज़िद्द और मेहनत चाहिए। आइए, इसे एक छोटी कहानी के ज़रिए समझते हैं|
राहुल, एक छोटे से गाँव का लड़का, इंजीनियर बनना चाहता था। गाँव में न बिजली स्थिर थी, न इंटरनेट। लोग कहते, "राहुल, सपने छोटे रख, ये बड़े शहरों के लिए है।" लेकिन राहुल ने ठान लिया। उसकी उम्मीद नहीं, ज़िद्द थी।वो रोज़ सुबह 4 बजे उठता। साइकिल से 10 किलोमीटर दूर शहर की लाइब्रेरी जाता।
वहाँ पुरानी किताबों से पढ़ाई करता। पैसे नहीं थे, तो दोस्तों से नोट्स माँगता। रात को मिट्टी के तेल के लैंप की रोशनी में पढ़ता। गाँव वाले हँसते, "इतनी मेहनत करेगा, फिर भी क्या गारंटी?" राहुल जवाब नहीं देता, बस अपनी ज़िद्द पर अड़ा रहता।दो साल बाद, इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा का रिज़ल्ट आया।
राहुल ने न सिर्फ़ पास किया, बल्कि टॉप रैंक हासिल की। उसे देश के सबसे अच्छे कॉलेज में दाखिला मिला। गाँव वाले हैरान थे। राहुल ने कहा, "उम्मीद सब रखते हैं, लेकिन ज़िद्द मुझे यहाँ लाई।
सीख:- सपने वो नहीं जो सोते वक़्त देखे जाते हैं, वो हैं जो आपको सोने न दें। ज़िद्द बनाए रखें, मेहनत करें, और उम्मीद को हकीकत में बदलें।