"जो बीत गया, उस पर बात नहीं कीजिए; जो वक्त बचा है, उसे बर्बाद नहीं कीजिए।"
यह पंक्ति समय की कीमत और जीवन में आगे बढ़ने की सीख देती है। इसे एक छोटी कहानी है
कहानी: समय का सबक
रायपुर गाँव में रमेश नाम का एक युवक रहता था। वह बचपन में एक गलती के कारण हमेशा पछताता था—उसने स्कूल में पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया और नौकरी का एक सुनहरा मौका गँवा दिया। हर दिन वह पुरानी बातों को याद कर उदास रहता। उसका दोस्त सोहन, जो गाँव का सबसे समझदार व्यक्ति माना जाता था, यह देख परेशान हो गया।
एक दिन सोहन ने रमेश को पास के तालाब के किनारे बुलाया। उसने एक पत्थर उठाया और तालाब में फेंकते हुए कहा, "रमेश, इस पत्थर को देख। ये पानी में डूब गया, अब इसे वापस नहीं लाया जा सकता। लेकिन क्या तू सारी जिंदगी इस पत्थर को याद करेगा या पानी में बाकी मछलियों को पकड़ने की कोशिश करेगा?
"रमेश समझ गया। सोहन ने आगे कहा, "जो बीत गया, उसे छोड़। तेरा आज और कल अभी बाकी है। उसे मेहनत और हिम्मत से सजा।" रमेश ने उस दिन ठान लिया कि वह पुराने पछतावों को भूलकर नई शुरुआत करेगा। उसने एक छोटा सा कारोबार शुरू किया, मेहनत की, और धीरे-धीरे गाँव में अपनी नई पहचान बनाई।
सीख :- बीता वक्त लौटता नहीं, लेकिन बचा हुआ वक्त आपके हाथ में है। उसे सपनों को हकीकत में बदलने के लिए इस्तेमाल करें।