क्या छोड़ना है ,इसपर ध्यान देने के बजाय क्या पकड़ना है इस पर ध्यान दिया जाए तो हम बेहतर ध्यान दे पाएंगे
एक गाँव में एक युवा लड़का, वीर, रहता था। वह हमेशा अपनी कमियों पर ध्यान देता वह ज्यादा तेज नहीं दौड़ सकता था, उसका गणित कमजोर था, और वह लोगों के सामने बोलने से हिचकिचाता था।
हर रात वह सोचता, "मुझे ये छोड़ना होगा, वो छोड़ना होगा," लेकिन अगले दिन वही निराशा और आत्म-आलोचना।एक दिन गाँव में एक बूढ़ा यात्री आया। वीर ने उससे अपनी परेशानी बताई। बूढ़े ने मुस्कुराकर कहा, "बेटा, छोड़ने की बात छोड़ दे। ये सोच कि तू क्या पकड़ सकता है। तेरे पास क्या है, उसे मजबूत कर।"वीर ने सोचा, "मेरे पास क्या है?" उसे याद आया कि वह कहानियाँ सुनाने में माहिर था।
बच्चे उसकी कहानियों पर ठहाके लगाते, बूढ़े उसकी बातों में खो जाते। उसने फैसला किया कि वह अपनी इस कला को पकड़ेगा।अगले दिन से वीर ने गाँव के चौपाल पर कहानियाँ सुनाना शुरू किया। उसकी कहानियाँ जंगल की आग की तरह फैलीं। लोग दूर-दूर से उसे सुनने आने लगे। उसका आत्मविश्वास बढ़ा, और धीरे-धीरे वह बोलने में निपुण हो गया।
उसने अपनी कहानियों में गणित के सवालों को गूंथा, जिससे उसका गणित भी सुधर गया। दौड़ने की कमी? अब उसे उसकी परवाह नहीं थी, क्योंकि उसकी कहानियाँ लोगों के दिलों तक दौड़ रही थीं।तीन महीने बाद, वीर गाँव का सबसे प्रिय व्यक्ति बन गया। बूढ़े यात्री ने लौटकर उसे देखा और कहा, "देखा, जब तूने पकड़ने पर ध्यान दिया, तो छोड़ने की जरूरत ही नहीं पड़ी।
"सबक: अपनी कमियों को छोड़ने की चिंता करने के बजाय, अपनी ताकत को पकड़ो और उसे चमकाओ। यही तुम्हें बेहतर बनाएगा।